सेना भर्ती में जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सियासत शुरु, सेना ने दिया जवाब
भारत में सैन्य भर्ती को लेकर काफी विवाद देखने को मिला मगर अब सैन्य भर्ती को लेकर एक नया विवाद जन्म ले रहा है। दरअसल सैन्य भर्ती में जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और जदयू के उपेंद्र कुशवाहा ने सियासत शुरु कर दी और कहा था कि सैन्य भर्ती में जाति व धर्म प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है?
इस संबंध में संजय सिंह ने दावा किया है कि भारत के इतिहास में पहली बार सैन्य भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। दरअसल ‘आप’ नेता संजय सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर सेना बहाली के जुड़ा एक स्क्रीन शॉट शेयर किया। उन्होंने लिखा, “मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? मोदी जी आपको अग्निवीर बनाना है या जातिवीर?”
वही जदयू के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भी जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर विरोध जताया और देश में रक्षा मंत्री से इस पर स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने भी अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि ‘सेना की बहाली में जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है, जब इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान ही नहीं है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना चाहिए।’
हालांकि इस पूरे मामले में सेना ने अपनी सफाई दी है। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक अग्निपथ योजना में सैन्य भर्ती की प्रक्रिया में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। इससे पहले भी सैन्य भर्ती में जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगा जाता रहा है।
अब आपको बताते है कि सैन्य भर्ती के दौरान जाति व धर्म प्रमाण पत्र क्यों मांगा जाता है? दरअसल सेना में प्रशिक्षण व तैनाती के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों का अंतिम संस्कार करने के लिए धर्म का पता होना आवश्यक होता है। इससे उनका अंतिम संस्कार उसी धर्म के मुताबिक किया जाता है।
यही कारण है कि सेना में इस प्रकार के प्रमाण पत्रों की आवश्यकता होती है।
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