आज नहीं दिखा असली बनारस क्योंकि रोज नहीं आते प्रधानमंत्री मोदी
वाराणसी: वैसे तो काशी की नगरी को धर्म और मोक्ष की नगरी माना गया है और यहाँ का हर एक नज़ारा अद्भुत होता है पर यहाँ कुछ नज़ारे ऐसे भी है, जिससे एक आम काशीवासी हर दिन संघर्ष करता दिखाई पड़ता है, जैसे ट्रैफिक जाम, छुट्टा पशुओ की समस्या, सड़को पर पसरा कूड़ा कचरा, सड़को पर लगी अवैध दुकाने और अतिक्रमण जो कि शहर में जाम लगने के मुख्य कारण है।
लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे के दौरान शहर का नज़ारा कुछ और ही था, हर चौराहे और नाके पर पुलिस बल की भारी तैनाती दिख रही थी। प्रशासन द्वारा सड़क पर लगने वाले ठेलो और अवैध अतिक्रमणो को ध्वस्त कर दिया गया था जिससे शहर में जाम की समस्या ख़त्म हो गयी थी। ऐसे में ये सवाल उठना लाज़िमी है की बड़े बड़े वादे करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रोज़मर्रा की समस्याओं से निपटने के सारे संसाधनों के होने के बावजुद प्रशासन सिर्फ किसी राजनेता के आने से ही हरकत में क्यों आती है?
इस प्रश्न का जवाब न कोई अधिकारी देना चाहेगा और ना ही इन राजनेताओं के समर्थक, इस बात से यदि किसी को फर्क पड़ता है तो वो है एक काशी की आम जनता जिसका राजनीति से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं, जो सिर्फ हर दिनअपने मंज़िल पर सही वक़्त पर पहुंचना चाहता है, जो गंगा में डुबकी लगाते वक़्त माँ गंगा को साफ़ सुथरा देखना चाहता है, और वो आम नागरिक जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अच्छे दिन के वादों के सच होने का इंतज़ार कर रहा है।
हालाँकि एक तर्क यह भी बनता है कि आज प्रधानमंत्री के काशी आगमन पर इतनी व्यवस्था इसलिए की गयी थी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो भी बनारस आये हुए थे। परन्तु एक आम नागरिक के लिए ये वजह नाकाफी होगी। 2014 लोकसभा चुनाव में काशी की जनता ने नरेंद्र मोदी को अपना लिया था और आज भी प्रधानमंत्री मोदी से काफी उम्मीदें लगाए बैठे हुए हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बनारस की आम समस्याओं के समाधान के बारे में सोचने की आवश्यकता है जिससे वो काशी की जनता के मन में बने रहें।