हस्तशिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक संकुल में शिल्प बाजार का आयोजन
वाराणसी। हस्तशिल्प कला ऐसे कलात्मक कार्य को कहते है। जो उपयोगी होने के साथ साथ घरों में सजाने के भी काम आता है,तथा जिसे मुख्यतः हाथ से या सरल औजारों की सहायता से ही बनाया जाता हैं। ऐसी कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व भी माना जाता है।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने हस्तशिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी के सांस्कृतिक संकुल में शिल्प बाजार का आयोजन किया हैं। जिससे हस्तशिल्प कला को बढ़ावा मिल रहा हैं, और इस शिल्प बाजार के माध्यम से हस्त शिल्प कला के कारीगरों को मुनाफा भी हो रहा हैं।
हाथों से रंगोली बनाना, कढ़ाई करना आदि एक कला है इसी तरह हमारे देश भारत में कुछ ऐसे गाँव है। जिन्होंने अब तक कला की अपनी इस धरोहर को संभाला हुआ है।,जिसे देखे कर अपना कला प्रेम बढ़ जायेगा।
इनमे मिट्टी से बने फ्रिज, कुकर, वाटर प्यूरीफायर, कढ़ाई, नॉनस्टिक तवा आदि बर्तन और अन्य घरेलू उपयोग की चीज़े शामिल होने के साथ साथ आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
हर क्षेत्र की अपनी कला सांस्कृति है कई भारती कलाओं की विश्व बाजार में अपनी अलग ही जगह है। और लोग इन कलाओं से आकर्षित जरूर होते है। परन्तु राजस्थान में हस्त एव शिल्पकलाएं पूरे देश में ही नहीं, विश्व में भी प्रसिद्ध है। चाहे वह कपड़ो में हाथ की कढ़ाई हो या मिटटी के बर्तन,राजस्थानी कला हमेशा ही लोगो को लुभाती है।
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