सिर्फ महानगरों में ही नहीं छोटे शहर में भी गूंज रही है महिला सशक्तिकरण की आवाज
वाराणसी: आज हम महिला दिवस पर विशेष रूप से चर्चा करेंगे की महिला सशक्तिकरण का आज के समाज में क्या महत्व है , वैसे तो यह दिन महिलाओं की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के रूप में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिला दिवस लगभग सभी विकसित, विकासशील देशों में मनाया जाता है।
यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक तरक्की दिलाने के साथ ही उन महिलाओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए। हर साल दुनिया भर में 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और अब महिला सशक्तिकरण सिर्फ बड़े शहरो तक सिमित नहीं रह गया है अब इसमें छोटे शहरो और गावो की भी महिलाये शामिल हो गयी है।
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इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में दो बहने भी वाराणसी जिले में महिला शसक्तीकरण की आवाज बुलंद कर रही है, जोकि प्रंशसनीय है। इसी कारण से शहर के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में इन दिनों संस्कृत की शिक्षा – दीक्षा के अलावा “आर्चरी” का खेल भी चर्चा में बना हुआ है। पूर्वांचल में आर्चरी खेल की नीव रखने वाले संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में धनुधर सिस्टर अपने धनुर्विद्या से सबको चौका रही है।
दरअसल चंदौली जिले के कमरहिया गावं की धनुधर सिस्टर इन दिनों पूर्वांचल के धनुधर को कड़ी टक्कर दे रही है। यह बहने सामजिक मिथक को तोड़ धनुर्विद्या के गुण को सिख रही है और समाज में लड़कियों को आगे बढ़ने का सन्देश दे रही है।
इसी प्रकार इन बहनो ने इस बार के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के थीम को सपोर्ट किया है, आपको बता दे की हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन एक थीम निश्चित की जाती है। इस साल इसका थीम #PressForProgress है, इस थीम की घोषणा होते ही सोशल मीडिया पर #PressforProgress ट्रेंड करने लगा है। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए प्रोत्साहित करना है।