पहले भाजपा के खिलाफ जहर उगला, अब सपा ने भी दे दिया दगा
बीजेपी के बाहुबली रमाकांत की मुश्किल बढ़ती जा रही हैं। दरअसल भाजपा पर वार और सपा से प्यार अब बाहुबली रमाकांत को भारी पड़ रहा हैं। ऊपर से सपा ने भी भाव देना बंद कर दिया है। एक तरफ वे बीजेपी में अलग-थलग पड़ चुके हैं दूसरी तरफ बसपा से गठबंधन के बाद सपा ने भी उन्हे भाव देना कम कर दिया हैं। गठबंधन के बाद आजमगढ़ से सपा की राह आसान हो गई है। पार्टी में ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिश्त है इसलिए रमाकांत विरोधी खुलकर उनकी वापसी का विरोध करने लगे हैं। जो नहीं चाहते कि रमाकांत वापस आये फिर उनके रास्ते का काटा बने। इस समय रमाकांत अबू आसिम और प्रो रामगोपाल की शरण में हैं।
बता दे कि वर्ष 2001 के आम चुनाव में रमाकांत यादव ने बीजेपी के टिकट पर आजमगढ़ संसदीय सीट से जीत हासिल किया था। इसके बाद वर्ष 2014 में जब मुलायम सिंह ने आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया तो रमाकांत के सपा में वापसी की चर्चा हुई। रमाकांत के चलते सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायक रामदर्शन यादव सपा में वापस चले गए लकिन रमाकांत ने उस समय न केवल अटकलों को खारिज किया बल्कि दावा किया कि वे तो दूर उनकी लाश भी कभी सपा में नहीं जाएगी, इस दौरान विभिन्न प्रांतो की बीजेपी सरकारे भी रमाकांत यादव पर काफी मेहरबान रही और रमाकांत और उनके लोगो ने कई प्रांतो में ठेकेदारी की।
पिछले दीनों रमाकांत की पोकलेन मशीन पकड़ी गई। उनके भांजे पर जुर्माने की तलवार लटक रही है।
सपा नेताओं में इस बात का भरोसा जग गया है कि गठबंधन के बाद वे आसानी से बीजेपी को हरा देंगे। अब रमाकांत विरोधी लाबी सक्रिय हो गयी है। खुद रमाकांत के करीबी बताते है, कि अबू आसिम आजमी आज भी रमाकांत यादव की वापसी के लिए प्रयासरत है लेकिन बलराम यादव पूर्व विधायक श्याम बहादुर यादव, राष्ट्रीय महासचिव बलराम यादव सहित आधा दर्जन नेता रमाकांत की वापसी का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
रमाकांत के खास सूत्रों की माने तो वो इस समय दिल्ली में है प्रो राम गोपाल से दो राउंड बातचीत कर चुके हैं। रमाकांत की वापसी पर जल्द ही निर्णय हो सकता है। अगर किसी कारणों से सपा रमाकांत को शामिल नहीं करती है तो उनकी परेशनी तय है इसलिए रमाकांत एक बार फिर अमित शाह से बातचीत की कोशिश में लगे हैं।