एक मंदिर ऐसा जहां मांस का मिलता है प्रसाद
गोरखपुर। पूर्वांचल के लोगों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है मां तरकुलहा देवी का मंदिर जहां सभी लोगों की मुरादें पूरी होती है। मां तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर में स्थित है और यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।
आपको बता दें अलग-अलग मंदिरों में नारियल, इलायची दाना, मेवा-मिठाई और फल प्रसाद के रूप में चढ़ाये और बांटे जाते हैं लेकिन यूपी के गोरखपुर मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां तरकुलहा मंदिर में मांस को प्रसाद के रूप में लोगों में वितरित किया जाता है।
शारदीय नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है। ऐसे में क्षेत्र में स्थित मां तरकुलहा का यह ऐतिहासिक मंदिर अपने अलग अंदाज के कारण विख्यात है।
स्थानीय लोगो के अनुसार इस इलाके में घना जंगल हुआ करता था जहां डुमरी रियासत के बाबू बंधू सिंह रहा करते थे। वहीं नदी के तट पर तरकुल यानि की ताड़ के पेड़ के नीचे उनकी इष्ट देवी मां तरकुलहा की स्थापित पिण्डीओं की वह पूजा किया करते थे।
बाबू बंधू सिंह अंग्रेजो के खिलाफ अपने गुरिल्ला युद्ध के कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। वह अंग्रेजों को उनके अत्याचार के बदले यहां ले आकर जंगल में मार देते थे।
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि मन्नत के अनुसार उन्हीं की परंपरा को निभाते हुए तरकुलहा मंदिर में कुछ ऐसे भक्त आते हैं जो बकरे की बलि देते हैं। बकरे की बलि देने के बाद मंदिर परिसर में ही बकरे के मांस को मिट्टी के बर्तन में पका कर लोगों में प्रसाद स्वरूप वितरण किया जाता है। बकरे की बलि यहां साल भर दी जाती है।
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