एसएसी व एसटी एक्ट मामले ने उड़ायी भाजपा की नींद, कही सपना ही ना रह जाये मिशन 2019
जैसे-जैसे 2019 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, भाजपा के लिए मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। एसएसी व एसटी एक्ट के बाद से मचे बवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए समस्याए बढ़ा दी है और इसके चलते 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावो में भी भाजपा को तगड़ा झटका लग सकता है।
जब से बसपा के समर्थन से सपा प्रत्याशियों ने गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपच्नुवाओ में जीत हासिल की है तब से माना जा रहा है कि 2019 लोकसभा चुनावो में दोनों पार्टियों का गठबंधन होना तय है। यह तो सभी जानते है कि दो दलों के गठबंधन का फैसला पार्टी के शीर्ष नेता करते है, लेकिन वर्षो से एकदूसरे का विरोध करने वाले कार्यकर्ता इस गठबंधन का हिस्सा नहीं बन पाते है और दोनों पार्टियों को इसी बात का डर सता रहा था की, यदि कार्यकर्ताओ का आपसी सहयोग नहीं मिलेगा तो गठबंधन को कोई ख़ास फायदा नहीं मिलने वाला है।
सपा व बसपा कार्यकर्ताओ में बढ़ा आपसी सहयोग
पर एससी व एसटी एक्ट में बदलाव ने सपा व बसपा के बड़े नेताओं को राहत दे दी है, एक्ट में बदलाव के विरोध में सोमवार को भारत बंद का आयोजन किया गया था। इस आंदोलन में सपा व बसपा कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे का साथ दिया, जिसके चलते उनके बीच सहयोग की भावना बढ़ी है और गठबंधन का असर जमीन पर भी दिखने लगा है।
कही सपना ही न रह जाये मिशन भाजपा का 2019
जब से दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओ ने मिलकर आन्दोलन किया तबसे उम्मीद बढ़ गयी है कि दोनों पार्टी के कार्यकर्ता अपने लोगो का वोट एकदूसरे को दिलवा पाएंगे और इसी वजह से भाजपा की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि यदि दोनों पार्टियों का वोटबैंक एक हो गया तो भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव 2019 का सफ़र मुश्किल हो जायेगा। एससी व एसटी एक्ट में बदलाव के बाद से ही केंद्र सरकार दलितों के निशाने पर है और बीजेपी के विरोधी दल किसी भी कीमत पर इस मौके को गवाना नहीं चाहते है। यदि ऐसे में बीजेपी के दलित व पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक में सेंधमारी हो जाती है, तो बीजेपी के लिए मिशन 2019 का सपना बस एक सपना ही बनकर रह जायेगा।