ताजमहल में नहीं पढ़ सकते नमाज: सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायलय ने दुनिया के सात अजूबे में अपना पद बरक़रार रखने वाले मुमताज की याद में बने ताजमहल में नमाज न पढ़ने वाले अपने आदेश को बरक़रार रखा है। आपको बता दे की नमाज न पढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने आज ताजमहल में नमाज़ पढ़ने पर लगी पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिका ठुकराते हुए एससी ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है। लोग दूसरी मस्जिदों में भी नमाज अदा कर सकते हैं। जरुरी नहीं की वो यही पर नमाज अदा करे। इस खबर से जहा विरोधी खेमे में ख़ुशी है तो वही सहमति खेमे में निराश हाथ लगा है।
इसी साल 24 जनवरी को आगरा प्रशासन ने ताजमहल परिसर की मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने से बाहरी लोगों को रोक दिया था। इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। ताजमहल परिसर में स्थित मस्जिद में हर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ पढ़े जाने की परंपरा है। हालांकि कुछ संगठन इसका लगातार विरोध करते रहे हैं। ताजमहल में चालीसा पढ़ने की भी मांग उठ चुकी है। पर उसपर अभी कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुयी है।
पिछले साल ताजमल को लेकर नए सिरे से विवाद शुरू हो गया था जब बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ताजमहल को भारतीय संस्कृति पर ‘धब्बा’ करार दिया था। विश्व के सात अजूबों में से एक माने जाने वाले ताजमहल की सुंदरता का दीदार करने हर साल लाखों भारतीय और विदेशी पर्यटक आते हैं।
Supreme Court refuses to allow offering of Namaz at Taj Mahal. The Court says the historic Taj Mahal is one of the seven wonders of the world, so it should be kept in mind that no Namaz will be offered there. There are other places where one can do that. pic.twitter.com/vYQ3xHNiwy
— ANI (@ANI) July 9, 2018