करवा चौथ व्रत का क्या है मत्वा ? जानें इस वर्ष के किये पूजा का समय
करवा चौथ उत्तरी भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। करवा चौथ पर, इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं। इसे सबसे चुनौतीपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है क्योंकि महिलाएं केवल करवा के रूप में जाने जाने वाले मिट्टी के बर्तन के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खाती या पीती हैं। करवा चौथ हिंदू कैलेंडर महीने कार्तिक में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह रविवार (24 अक्टूबर) को है। चतुर्थी तिथि सुबह 3:01 बजे शुरू होगी और अगले दिन सुबह 5:43 बजे समाप्त होगी। रविवार को सुबह 6.36 बजे से रात 8.36 बजे तक उपवास रखा जाएगा। जहां महिलाएं चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ती हैं, वहीं शाम को करवा चौथ कथा पूजा की जाती है। इस वर्ष पूजा का समय शाम 6:09 से शाम 7:24 तक है। आइये जानते हैं वाराणसी के पंचमुखी महादेव मंदिर के पुजारी राजकुमार त्रिपाठी ने करवा चौथ व्रत के बारे में क्या जानकारी दी।
महिलाएं इस व्रत को बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाती हैं। इस दिन महिलाएं चांद के दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत तोड़कर पानी पीती हैं। वहीं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर कर व्रत की शुरुआत करती हैं। सरगी करवा चौथ की सबसे खास चीज होती है। इस सरगी में फल, मठरी, मिठाई, मेवा और खाने पीने की और चीजें रहती हैं। सूर्योदय से पहले बहू और सास दोनों मिलकर यह सरगी खाती हैं। सरगी में इस तरह की खाने की चीज होती हैं जो कि शाम तक महिलाओं को भूख का अहसास नहीं होने देती।
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