जानिए काशी की पूनम यादव के बारे में जिन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया
ऑस्ट्रेलिया में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों में भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक जीतकर बनारस और देश का नाम रोशन करने वाली काशी की बेटी पूनम यादव 13 अप्रैल 2018 शुक्रवार के दिन वाराणसी पहुंची। वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पहुंचते ही उनका स्वागत सैकड़ों की तादाद में उमड़ी भीड़ ने फूल मालाओं से लाद कर किया। भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाली पूनम यादव ने अपने स्वागत के लिए उमड़ी भीड़ देखकर कहा कि वह इतनी ज्यादा खुश है कि अपनी खुशी व्यक्त नहीं कर सकती हैं।
आपको बता दें कि पूनम यादव दादूपुर नाम के गांव की निवासी है, बाबतपुर एयरपोर्ट से लेकर अपने गांव पहुंचने तक पूनम यादव खुली जीप में सवार हुई और रास्ते भर तिरंगा लहराते हुए सब का अभिवादन स्वीकार किया। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता और परिवार वालों के साथ अपने कोच को दिया।
ओलंपिक के बाद बंधेंगी परिणय सूत्र में
बतादें कि मिर्ज़ापुर, चील्ह विकास खंड कोन के मवैया गांव के धर्मराज यादव के साथ पूनम यादव परिणय सूत्र में बंधेंगी। परिवार वालों के अनुसार धर्मराज के ओलंपिक खेलने के के पश्चात उनका विवाह पूनम यादव के साथ होगा। फिलहाल उनका ध्यान ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर है, जिसकी तैयारी में वह जुटे हुए हैं।
पूनम यादव रेलवे में टीटी के पद पर तैनात है, जबकि मिर्जापुर के मवैया निवासी उनके होने वाले पति धर्मराज यादव थल सेना में जाट रेजीमेंट में मेजर हैं। धर्मराज भी वेटलिफ्टिंग के खिलाड़ी हैं। वह भी अब तक नौ स्वर्ण पदक, 11 रजत तथा पांच काँस्य पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा सर्विसेस में 56.53 मीटर में सात बार गोल्ड जीतकर एक रिकार्ड बना चुके है। धर्मराज छह भाई एक बहन में सबसे छोटे है। उनके पिता बलदेव यादव दूध का व्यापार करते हैं जबकि माता भूवरी देवी गृहिणी हैं। धर्मराज और पूनम की मुलाकात खेल के दौरान हुई थी। इसी दौरान दोनों ने परिणय सूत्र में बंधने का निर्णय ले लिया। करीब तीन साल पहले ही दोनों की शादी तय हो गई है।