जाने कैसे करें रविवार के दिन भगवन सूर्य की पूजा, बदलें अपनी तकदीर
हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी या देवताओं का दिन माना जाता है। सप्ताह का आखरी दिन यानी रविवार सूर्य देवता का दिन माना जाता है। जीवन में खुशियां, सुख-समृद्धि और शत्रुओं से सुरक्षा हेतु लोग सूर्य देव के लिए रविवार के दिन व्रत रहते हैं। ज्ञानियों और पंडितों के अनुसार रविवार के दिन व्रत रहने और कथा सुनने से मनुष्य की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
भगवान सूर्य के लिए रविवार के दिन व्रत रहने से मनुष्य को समाज में मान-सम्मान, धन योग एवं बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार सूर्य भगवान के लिए व्रत रहने से कुष्ठ रोग से भी मुक्ति मिलती है, ऐसे में यह जानना अति आवश्यक है कि भगवान सूर्य की पूजा किस प्रकार करें।
भगवान सूर्य का पूजा अर्चना करने का सही क्रम!
रविवार की सुबह स्नान आदि करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके भगवान सूर्य को का स्मरण करें, अगर घर में भगवान सूर्य की प्रतिमा ना हो तो शीघ्र किसी पवित्र स्थान पर उनकी मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। इसके पश्चात गंध-पुष्पादि से भगवान सूर्य का पूजा करें।
भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना में उनके पसंदीदा पुष्पों का प्रयोग महत्वपूर्ण माना जाता है!
पुराणों के अनुसार जब भगवान सूर्य को एक आक का फूल अर्पण किया जाता है तो वह दस सोने के सिक्के चढ़ाने के समान होता है। इसके अलावा कदंब का फूल और बेला का फूल भी सूर्य आराधना में महत्वपूर्ण माना जाता है। कदम के फूल को केवल रात्रि में सूर्य भगवान को चढ़ाया जाता है परंतु बेला का फूल दिन और रात दोनों समय चढ़ाया जा सकता है।
इनके अलावा कुछ फूल ऐसे भी हैं जिनका प्रयोग सूर्य आराधना में निषिद्ध माना जाता है जैसे गुंजा, धतूरा, अपराजिता, भटकटैया और तगर इत्यादि। इनका प्रयोग भूल कर भी नहीं करना चाहिए।