शनिवार के दिन करें शनि स्तोत्र का पाठ, शनि के कोप से मिल जाएगी मुक्ति

शनिवार के दिन करें शनि स्तोत्र का पाठ, शनि के कोप से मिल जाएगी मुक्ति

रामायण के अनुसार राजा दशरथ के ऊपर शनि का प्रकोप था परंतु शनि स्त्रोत का पाठ करने से उन्हें लाभ मिला और उनके सारे कष्ट दूर हो गए थे इसलिए शनिवार के दिन शनि के पूजा अर्चना के दौरान शनि स्तोत्र का पाठ अति आवश्यक माना जाता है।

शनि स्तोत्र, इस प्रकार है

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।

उपरोक्त स्तोत्र का अर्थ, इस प्रकार है

हे श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले, कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
हे दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले, हे दीर्घ नेत्र वालेे, शुष्कोदरा निराले, भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
हे पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले, कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले, तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
हे घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा, हे नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा, हे भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
हे सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी, हे अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी, विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी, तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी, संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो, हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो, हे ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि, वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये, उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता, मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता, डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर, हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर, देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।
होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै, बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै, सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.